Add To collaction

लेखनी कहानी -04-Oct-2022 जालोर की रानी जैतल दे का जौहर

भाग 10 


भीम सिंह की शहादत और धर्म सिंह को दंड देने से रणथम्भौर की सैन्य ताकत कम हो गई थी । राजा हम्मीर सिंह ने रतिपाल और रणमल को नया सेनापति और भोजराज को मंत्री नियुक्त किया । पर इन तीनों में वैसी बहादुरी और स्वामिभक्ति नहीं थी । 
उलुग खान, नुसरत खान और अल्प खान की संयुक्त सेना ने रणथम्भौर को चारों ओर से घेर लिया । हम्मीर सिंह ने किले के द्वार बंद करवा दिये और किले की बुर्ज से पत्थर बरसाने लगे । भाले फेंककर शाही सेना का विनाश करने लगे । हम्मीर सिंह के इस आक्रमण से नुसरत खान घायल हो गया जिसे युद्ध के मैदान से हटाना पड़ा । इससे अलाउद्दीन खिलजी बहुत आक्रोशित हुआ और वह स्वयं युद्ध के मैदान में आ कूदा । 

उसके आने से शाही सेना में जोश का संचार हो गया और शाही सेना दुगने जोश के साथ युद्ध करने लगी । लेकिन रणथम्भौर का किला इतना मजबूत था कि उसका  बाल भी  बांका नहीं हुआ । इससे अलाउद्दीन खिलजी बहुत निराश हुआ । अलाउद्दीन खिलजी की प्रवृत्ति में पराजय स्वीकार करना नहीं था । वह नैतिकता और अनैतिकता में कोई भेद नहीं करता था । उसे तो परिणाम चाहिए थे । वह चाहे नैतिकता से मिले या अनैतिकता से । 

जब युद्ध ताकत से नहीं जीता जा रहा हो तो फिर षड्यंत्रों से जीता जाता है । अलाउद्दीन खिलजी का यही सिद्धांत था । वह षड्यंत्र रचने में तो माहिर था ही कूटनीतिज्ञ भी बहुत बढिया था । उसका तो इतिहास ही षड्यंत्रों से भरा पड़ा है । उसने हम्मीर सिंह से संधि करने की इच्छा व्यक्त की और एक दूत भेज दिया । हम्मीर सिंह उसकी बातों में आ गया और अपने मंत्री भोजराज और सेनापति रणमल तथा रतिपाल को वार्ता हेतु अलाउद्दीन खिलजी के पास भेज दिया । अलाउद्दीन खिलजी ने उन तीनों को प्रलोभन देकर अपने साथ मिला लिया । हम्मीर सिंह उसके इस षड्यंत्र को समझ नहीं सके थे । 

मंत्री भोजराज ने पानी को दूषित करा दिया । रणथम्भौर किले में पानी का अभाव हो गया था । अब आमने सामने का युद्ध ही एकमात्र विकल्प था । राजपूत वीरों ने "केसरिया बाना" पहन लिया था । स्त्रियों ने जौहर की तैयारी कर ली थी । स्त्रियों का नेतृत्व रानी रंग दे कर रही थी । सब स्त्रियां दुल्हन की तरह सज धज कर आईं थीं और उन्होंने पूरा सोलह सिंगार कर रखा था । उन्हें युद्ध का परिणाम देखकर यह निर्णय लेना था कि जौहर करना था या नहीं । इसके लिए वे पूर्णतया तैयार थीं ।  विश्व इतिहास का यह पहला "शाका" था । राजपूत वीर नंगी तलवारें लेकर युद्ध के लिए निकल पड़े और स्त्रियां जौहर की ज्वाला में समाने की तैयारियां करने लगीं । यही "शाका" कहलाता है । 

हम्मीर सिंह के नेतृत्व में राजपूत सेना ने शाही सेना पर कहर ढा दिया था । अलाउद्दीन खिलजी का सामना पहले कभी ऐसे वीरों से पड़ा नहीं था इसलिए वह इस भीषण आक्रमण से अचंभित हो गया । शाही सेना तितर बितर हो गई । यद्यपि सेनापति रणमल और रतिपाल के षड्यंत्रों ने राजपूतों का बहुत नुकसान किया मगर राजपूत सेना ने तुर्कों को मार भगाया और शाही सेना के ध्वज वगैरह छीन लिये । राजपूत सेना मुगलों के ध्वजों को लेकर वापस लौटने लगी और प्रसन्नता व्यक्त करती हुई वह किले की ओर आ रही थी । 

किले से जब यह नजारा देखने को मिला कि शाही ध्वज लेकर सेना आ रही है तो रानी सहित सभी स्त्रियों ने यह सोचा कि राजपूत हार गये हैं और तुर्क सेना किले में प्रवेश करने वाली है । इस गफलत में राजपूत स्त्रियों ने जौहर की ज्वाला में प्रवेश करके अपनी जान की आहुति प्रदान कर दी । सैकड़ों स्त्रियां जौहर की भेंट चढ गईं । इनमें मुहम्मद शाह और कैहब्रु शाह की औरतें भी थीं । इसे कहते हैं संगत का असर । अच्छे लोगों की संगत का असर तो अच्छा होता ही है । 

हम्मीर सिंह अपनी सेना के साथ जब किले में लौटा तो उसे जौहर का समाचार मिला । वह सकते में आ गया । एक छोटी सी भूल ने विजय को पराजय में बदल दिया था । अगर वे मुगल ध्वज नहीं लूटते तो ऐसी गफलत नहीं होती । मगर अब क्या हो सकता था ?  हम्मीर सिंह विचलित हो उठा । वह महादेव जी के मंदिर में गया और शिवलिंग के सामने बैठकर एक हाथ से चोटी पकड़ ली और दूसरे हाथ से अपनी गर्दन पर वार कर दिया । एक वार में ही सिर कट कर शिवलिंग पर गिर पड़ा । इस तरह रणथम्भौर का पतन हो गया । मुहम्मद शाह और कैहब्रु  शाह को अलाउद्दीन खिलजी ने जिंदा पकड़ लिया और उन्हें हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया । इस प्रकार रणथम्भौर पर अलाउद्दीन खिलजी का आधिपत्य हो गया । 

श्री हरि 
19.10.22 

   21
6 Comments

Radhika

18-Mar-2023 10:54 AM

बहुत अच्छी रचना

Reply

Khan

01-Nov-2022 07:43 PM

Bahut khoob 😊🌸

Reply

shweta soni

01-Nov-2022 07:04 AM

बेहतरीन रचना

Reply